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तुम्हें तो हक़ नहीं कोई

किसी से दूर जाने का
किसी के पास आने का
तुझे तो हक़ नही कोई
किसी का दिल दुखाने का।

जो हिस्सा बन गया है तू
ये किस्सा बन गया है तू
तुझे तो हक़ नही कोई
किसी को तोड़ जाने का।

मोहब्बत भी बेखुदी है
यहां अर्ज़ बस दर्द की है
सुकूँ से जीने दे हमको
तुझे तो हक़ नही कोई
किसी का दिल चुराने का।

"कभी हसीं ख़्वाब बनकर तुम
कभी मेरे सरताज बनकर तुम
चले आते हो क्यों रिश्ते बनाने।

कभी ऐसे वादे कर के
टूटे तो, जिये कोई मर-मर के
चले भी आना कभी तुम निभाने।"

मैं दरिया रेत का हूँ
माँझी ना ही साहिल हूँ
क्या बरसा तू बेमौसम
तुझे तो हक़ नही कोई
सूखी जमीं को भिगाने का।

किसी से दूर जाने का
किसी के पास आने का
तुझे तो हक़ नही कोई
किसी का दिल दुखाने का।

जो हिस्सा बन गया है तू
ये किस्सा बन गया है तू
तुझे तो हक़ नही कोई
किसी को तोड़ जाने का।

#MJ
©मनोज कुमार "MJ"

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